ये कैसी आग है जो आस्मां को भी जला रही है
सच कहना, तेरे सीने में कोई ज्वालामुखी तो नहीं
सूरज
लांघी न जाए, वक्त ऐसी सीढ़ियों का गुलाम नहीं होता
प्यार होता है, दिल जानता है, मगर चर्चा आम नहीं होता
हर सुबह नई होती है मगर सूरज रोज वही होता है
कुछ देर ग्रहण लगने से सूरज हमारे लिए नाकाम नहीं होता
तस्वीर...शाम की जिसे देख कर उपर की पंक्तियां मेरे जेहन में आईं...
5 comments:
सही कहा सूरज कभी नाकाम नही होता
बहुत सुंदर लिखा है,शुभकामनाये
आदरणीया ,बड़ी उत्साह वर्धक बात आपने कहीं |
waah .....bahut khoob ....
सुन्दर अभिव्यक्ति!
सुन्दर अभिव्यक्ति!
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