tag:blogger.com,1999:blog-7457660406957814823.post6116847382680391695..comments2024-02-22T15:55:08.508+05:30Comments on रूप-अरूप: यादों की ओसरश्मि शर्माhttp://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7457660406957814823.post-88285220939108900112011-06-13T13:00:52.748+05:302011-06-13T13:00:52.748+05:30हर रोज़ निखर रही है तुम्हारी कविता ... अच्छा लगता ह...हर रोज़ निखर रही है तुम्हारी कविता ... अच्छा लगता है ...<br /><br />रांची का पुराना बूढा चाँद हमारे दरवाज़े तक आया ... हम जग गए और उससे बातें कीं ... हमारी यादों की गठरी लादे वह थक गया है ... शायद शापग्रस्त है ... या उस के वादों कि कैद में है ... रिहाई चाहता है ... हम पुकारते हैं उनको और कहते है कि उसे आज़ाद कर दो ...<br /><br />क्या उसकी रिहाई पसंद करेंगी ... प्यार और आशिर्वाद ...ashokjairath's diaryhttps://www.blogger.com/profile/03097967910978831966noreply@blogger.com