Wednesday, January 12, 2022

सांझ का चंदोवा



सांझ का चंदोवा तना है
रक्तांबर आकाश में 
डूबता जा रहा सूरज ...
रत्ती सी पत्ती मुस्काती है
हौले - हौले
स्मृतियों की किवाड़ खुलने को है ...

3 comments:

विश्वमोहन said...

वाह!
शनै:-शनै: खोलती है संध्या अब अर्गला
फिर सजेगी निशा की नई चित्रकला।

रेणु said...

छोटी-सी पर बहुत ही प्रभावी रचना। हार्दिक शुभकामनाएं रश्मि जी 🙏🙏🌷🌷❤️❤️

Manisha Goswami said...

बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति