रूप-अरूप
रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Friday, February 28, 2020
मन चुनता है....
धूप सुहाती है तन को
सन्नाटे में कोई गुनगुन करता है
बिखरी पड़ी स्मृतियों को
झरे पत्तों की तरह मन चुनता है
1 comment:
Manav Mehta 'मन'
said...
सुंदर भाव...
Wednesday, March 11, 2020 11:21:00 AM
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सुंदर भाव...
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