Tuesday, January 23, 2018

स्वागत है बसंत तुम्हारा


प्रकृति का उत्सव है बसंत।मौसम का यौवन है बसंत। फूलों के खिलने और धरती के पीले वसन में रंगने का समय है बसंत।


यौवन का प्रतिनिधित्व करता है बसंत। इस संत धरती की ख़ूबसूरती इतनी अधिक बढ़ जाती है कि सब कुछ जवाँ लगता है। पेड़ पुराने पत्तों को छोड़ देता है, झाड़ देता है अपने तन से और युवा बन जाता है। बसंत का प्रेमी कभी वृद्घ नहीं होता। अपनी तमाम दुश्चिंताओं को परे हटाकर, सारे दुखों को सूखे पत्तों सा झाड़कर, निराशाओं के काले बादलों को चीरकर उम्मीद के कोमल धूप में विहार करने वाले इंसान के जीवन से बसंत कभी नहीं जाता।

वैसे भी सृष्टि का यौवन बसंत है, तो मानव जीवन का बसंत यौवन है।इसलिए कहा भी गया है कि मानव का सबसे ऊर्जावान समय यौवनावस्था ही होता है। यह समय स्वास्थ्य के दृष्टि से तो अतुल्य होता ही है, प्रकृति के साथ-साथ मन के आँगन में इतने तरह के फूल खिले होते हैं कि सम्पूर्ण धरती सतरंगी नज़र आती है।

भगवान कृष्ण ने गीता में 'ऋतुनां कुसुमाकर:' कहकर बसंत को अपनी सृष्टि माना है तो सारे कविगण बसंत ऋतु के गुण गाते नहीं थकते। मनुष्य को प्रकृति का साथ भाता है और उसे प्रकृति का सानिध्य भी बहुत ज़रूरी है। ऐसा अनुपम सौंदर्य और शांति केवल प्रकृति के पास है जो इंसानी जीवन से सभी अवसाद और परेशानियों को समाप्त करने की क्षमता रखता है।

मगर दुःख की बात है कि आज के युवा अपनी इस अमूल्य थाती से दूर जा रहे हैं। बसंत को अपने तन-मन में उतरने और प्रकृति की मादकता को महसूस करने के बजाय नक़ली चकाचौंध में खोते नीरस होते जा रहे है। बसंत को कामदेव का मित्र माना गया है। जब कामदेव अपनी फूलों वाले धनुष की प्रत्यंचा तानते हैं तो प्रकृति की ख़ूबसूरती देख आनंदित होता है मनुष्य। यही वक़्त है जब विदेशों में वेलेंटाइन दिवस मनाया जाता है और अब तो अपने ही देश में ख़ूब प्रचलित है। इस दौर में हम यह बात क्यूँ भूलते हैं कि प्रेम का उत्सव मनाने की परम्परा तो हज़ारों वर्ष पूर्व से चली आयी है। जब धरती पर सरसों की पीली चादर बिछती है तो मन में उमंग ऐसे ही हिलोरें मारती हैं।


बसंत की आहट है, भले इस बरस शीत का प्रकोप कुछ ज़्यादा रहा मगर सरसों के पीले फूल खिले हैं चारों ओर। अनंग का आधिपत्य होगा धरती पर। तो स्वागत है बसंत तुम्हारा।



दैनि‍क ' इंडि‍यन पंच' में आज 22 जनवरी को प्रकाशि‍त टि‍प्‍पणी 


9 comments:

'एकलव्य' said...

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'बुधवार' २४ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

रोली अभिलाषा said...

सही कहा।

Anita Laguri "Anu" said...

वाह!!!
बहुत ही खूबसूरत लेख,
बसंत आगमन के बहाने खुबसूरती से युवा मन के जोश को उकेर डाला आपने...!

Anita said...

ऋतुराज के आगमन पर सुंदर रचना..

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन राष्ट्रीय बालिका दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

रेणु said...

सुंदर सार्थक लेख -- आदरणीय रश्मि जी -------

रेणु said...

सुंदर सार्थक रचना -- आदरणीय रश्मि जी

शुभा said...

वाह!सुंदर रचना।

Onkar said...

सही कहा.