Thursday, November 2, 2017

शाम नहीं बदलती कभी


तुम्हारे नाम की शाम 
अब तक है मेरे पास 
नहीं सौंप पायी किसी को भी 
अपनी उदासी 
अपना दर्द, अपना डर 
और अपना एकांत भी
बस करती रही इंतज़ार
ना तुम लौटे
ना कोई आ पाया जीवन में
तुम्हारे नाम सौंपी गयी शाम पर
किसी और का नाम
कभी लिख नहीं पायी
वो वक़्त
अधूरा ही रहा जीवन में
कुछ के रास्ते बदल जाते हैं
कुछ की मंज़िले
मगर किसी-किसी की शाम
नहीं बदलती कभी ।

9 comments:

Sweta sinha said...

बहुत सुंदर रचना रश्मि जी। तन्हा मन को अक्सर यादों की बौछार भीगा जाती है।

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 05 नवम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Lokesh Nashine said...

बहुत सुंदर

Sudha Devrani said...

बहुत सुन्दर...

'एकलव्य' said...

आदरणीया /आदरणीय, अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है आपको यह अवगत कराते हुए कि सोमवार ०६ नवंबर २०१७ को हम बालकवियों की रचनायें "पांच लिंकों का आनन्द" में लिंक कर रहें हैं। जिन्हें आपके स्नेह,प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता है। अतः आप सभी गणमान्य पाठक व रचनाकारों का हृदय से स्वागत है। आपकी प्रतिक्रिया इन उभरते हुए बालकवियों के लिए बहुमूल्य होगी। .............. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"



सुशील कुमार जोशी said...

बहुत सुन्दर

अमित जैन मौलिक said...

तुम्हारे नाम की शाम
अब तक है मेरे पास...

ऐसी दिलकश शुरुआत हम जैसे कवि के लिये एक हसरत से कम नहीँ। बहुत सुंदर रचना आदरणीया। बहुत दिलकश तब्सिरा। wahhh

'एकलव्य' said...

सुन्दर !

Ravindra Singh Yadav said...

वाह !
जिन लमहों पर किसी का नाम लिख जाय फिर वह हृदयपटल से मिटता ही नहीं।
यादगार शाम से जुड़े जज़्बात भरते रहते हैं उड़ान ख़्यालों की दुनिया में।
बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।