Tuesday, July 4, 2017

यूं भी होता है....




उस पर भरोसा नहीं करती
राई-रत्ती जितनी भी नहीं
मगर उसकी परेशानियों से
उतनी ही दुखी होती हूँ
जितना कि वो......
एक दिन भी उसको
याद नहीं करना चाहती
मगर एक पल ऐसा नहीं बीतता
जो उसकी याद के साये में न गुज़रे
जानती हूँ सच-झूठ के ताने-बाने से
बुना है उसने अपना जीवन
अपनी सहूलियत के हिसाब से
रिश्ते बनता और तोड़ता है वो
हर बार सोचती हूँ
इस बार तोड़ ही दूँ हर रिश्ता
जहाँ ठहरी एक बार
वहीं से वापस उलटे क़दम लौट जाऊँ
हज़ार बार कहा उसे
और उससे ज़्यादा ख़ुद को
दिल में जो हो प्यार तो नहीं है
मगर क्या कमाल कि बिन उसके
एक शाम नहीं गुजरती मुझसे
उलझी हूँ उसके संग ऐसे
जैसे उलझा हो ऊन का गोला
रब ने एक स्वेटर सा बुन दिया हमें
बने रहे साथ, उघड़े तो साथ-साथ
बचेगा बस टुकड़ा-टुकड़ा
किससे पूछे अब क़िस्मत का लेखा
किस गाँठ से जोड़ा किस डाल से तोड़ा
मेरा स्याह उसका सफ़ेद है
किसी के संग यूँ रहने में
जाने उस रब का क्या भेद है।


प्रभात खबर ' सुरभि' में 30 जुलाई 2017 को प्रकाशि‍त रचना 


9 comments:

vandana gupta said...

सुन्दर प्रस्तुति

ताऊ रामपुरिया said...

एक दिन भी उसको
याद नहीं करना चाहती
मगर एक पल ऐसा नहीं बीतता
जो उसकी याद के साये में न गुज़रे

आपकी रचनाएं बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देती हैं और बार बार पढना पडती हैं, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

अजय कुमार झा said...

न ये प्यार नहीं है....ये इश्क है ,मुहब्बत है..फना होना जरूरी है

'एकलव्य' said...

बहुत ही उम्दा रचना आपकी सजीव एवं लयबद्ध। आभार "एकलव्य"

दिगम्बर नासवा said...

रिश्तों को बनाना और उससे भी ज्यादा तोडना मुश्किल होता है ...
गहरा प्रेम एहसास झलकता है ....

Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते, आपकी लिखी यह रचना गुरूवार 6 जुलाई 2017 को "पाँच लिंकों का आनंद" (http://halchalwith5links.blogspot.in ) के 720 वें अंक में लिंक की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आपकी प्रतीक्षा रहेगी,आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद।

रश्मि शर्मा said...

धन्यवाद

रश्मि शर्मा said...

हार्दिक धन्यवाद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-07-2015) को "शब्दों को मन में उपजाओ" (चर्चा अंक-2660) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक