Tuesday, February 3, 2015

अंजाम यही मुनासि‍ब है...


जिंदगी की कि‍ताब से
फाड़ देना
मेरे नाम का पन्‍ना
हाशि‍ये पर लि‍खी
तहरीरों का
अंजाम यही मुनासि‍ब है।
चारों ओर
क्‍यों छाया है अंधेरा
लालि‍मा क्‍यों है
आंखों में
आग जल रही
सीने के अंदर
बस धुआं ही धुंआ है।
न मकसद जाना कभी
न फरेब पहचाना
मत रो
आंखें बंद कर
यकीन करने वालों का
अंजाम यही वाजि‍ब है ।

तस्‍वीर...कांके डैम की 

4 comments:

शारदा अरोरा said...

panne kahan fade jate hain ....pasand aaya aapka lekhan ...

दिगम्बर नासवा said...

यकीन करने वाले अंजाम की परवा भी कहाँ करते हैं ... भावपूर्ण ..

dr.mahendrag said...

सुन्दर अभिव्यक्ति

Onkar said...

बहुत सुन्दर