Thursday, February 21, 2013

मुझे शब्‍द दो....


मेरे लि‍ए यह बात
कोई मायने नहीं रखती
कि‍ मुझसे
क्‍या बातें करते हो तुम

मेरे लि‍ए
यह बेहद जरूरी है कि
मुझसे बात करो
मुझे शब्‍द दो...आवाज दो

यह अहसास हो कि
साथ-साथ चलता है कोई
भले ही
तुम पहाड़ से उस पार
और मैं तराई में

बस
प्रति‍ध्‍वनि‍त होती रहे
एक आवाज
अहसास
कि मेरे अल्‍फा़ज
असर करते हैं
कि सारा दर्द दि‍ल का
तुमसे जा कहते हैं........

तस्‍वीर--साभार गूगल

7 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

अच्छा हुआ की दर्द ने चौकां दिया उसको
कुछ नीद आ रही थी शबे - इन्जार में...


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महेन्द्र श्रीवास्तव said...

अच्छी रचना

poonam said...

यह अहसास हो कि
साथ-साथ चलता है कोई
भले ही
तुम पहाड़ से उस पार
और मैं तराई में..... खूब

रविकर said...

प्रभावी प्रस्तुति |
आभार आदरेया ||

Pratibha Verma said...

क्या बात है ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुंदर प्रस्तुति ... बस शब्द साथ चलते रहें

डॉ एल के शर्मा said...

मेरे लि‍ए यह बात
कोई मायने नहीं रखती
कि‍ मुझसे
क्‍या बातें करते हो तुम

मेरे लि‍ए
यह बेहद जरूरी है कि
मुझसे बात करो
मुझे शब्‍द दो...आवाज दो